कवि कैसा चोर-सा होड़-सा और मोर-सा कवि कैसा चोर-सा होड़-सा और मोर-सा
भारतीय के लिए भारतीय के लिए
लाली और हरियाली मग्न मन करने वाली यह भूमि है मेरी।। लाली और हरियाली मग्न मन करने वाली यह भूमि है मेरी।।
खड़ा जहाँ हूँ आज हम सभी अभी जहाँ इन मित्रता ने है वह मुकाम दिलाई।। खड़ा जहाँ हूँ आज हम सभी अभी जहाँ इन मित्रता ने है वह मुकाम दिलाई।।
भूल पाता नहीं अब तो आपका मुड़कर मुझे देखना। भूल पाता नहीं अब तो आपका मुड़कर मुझे देखना।
न है वो सोना, चांदी, हीरा, मोती वह तो है हमारी प्रकृति। न है वो सोना, चांदी, हीरा, मोती वह तो है हमारी प्रकृति।